Sunday, May 18, 2025

मेधा पाटकर को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के आरोप में कोर्ट से राहत, भरना होगा प्रोबेशन बॉन्ड और जुर्माना

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली की साकेत कोर्ट से मानहानि के एक पुराने मामले में बड़ी राहत मिली है। उन्हें 25 अप्रैल 2025 को दिल्ली पुलिस ने गैर-जमानती वारंट (NBW) के तहत गिरफ्तार किया था क्योंकि उन्होंने कोर्ट के उस आदेश का पालन नहीं किया था, जिसमें 1 लाख रुपये का मुआवजा और प्रोबेशन बॉन्ड जमा करने का निर्देश दिया गया था।

उसी दिन, साकेत कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दे दिया—इस शर्त पर कि वे 25,000 रुपये का प्रोबेशन बॉन्ड और 1 लाख रुपये का मुआवजा जमा करें। साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी सजा को 20 मई 2025 तक स्थगित कर दिया है। अब उनकी याचिका पर उस दिन सुनवाई की जाएगी।

यह विवाद वर्ष 2001 का है, जब तत्कालीन गुजरात स्थित NGO प्रमुख और वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। आरोप था कि पाटकर ने वर्ष 2000 में एक प्रेस रिलीज के जरिए उन्हें “कायर” कहा और हवाला लेन-देन में लिप्त होने का आरोप लगाया था।

इस मामले में जुलाई 2024 में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पाटकर को पांच महीने की सजा और 10 लाख रुपये के हर्जाने का आदेश सुनाया था। हालांकि, अपील के बाद साकेत कोर्ट ने 8 अप्रैल 2025 को इस सजा को एक साल के प्रोबेशन में बदल दिया और हर्जाना घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया।

मेधा पाटकर ने इस सजा को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन 25 अप्रैल को उन्होंने वह याचिका वापस ले ली और एक नई याचिका दायर की। कोर्ट से रिहा होने के बाद उन्होंने बयान दिया कि वे अदालत के आदेशों का पालन करना चाहती थीं, लेकिन तकनीकी समस्याओं की वजह से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश नहीं हो सकीं।

इस मामले से जुड़ी अपडेट्स और अन्य चर्चित मुकदमों पर नज़र रखने के लिए The Legal Observer से जुड़े रहें।

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